एक राजा था जो बहुत घमंडी था और सोचता था कि वह सबसे अच्छा है।
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वह अक्सर अपने धन और शक्ति पर घमंड करता रहता था, और अपनी प्रजा को हेय दृष्टि से देखता था।
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एक दिन राजा बाजार में टहल रहा था और उसने एक गरीब आदमी को भीख मांगते देखा।
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राजा ने उस आदमी को अनदेखा किया और चलता रहा।
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गरीब आदमी ने राजा को पुकारा और कहा, “महाराज, मैं गरीब हो सकता हूँ, लेकिन मेरे पास कुछ ऐसा है जो आपके पास नहीं है।”
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राजा को आश्चर्य हुआ और उसने गरीब आदमी से पूछा कि उसके पास ऐसा क्या है जो राजा के पास नहीं है।
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गरीब आदमी ने जवाब दिया, “मेरे पास लोगों का प्यार और सम्मान है। जिसे कोई भी धन या शक्ति नहीं खरीद सकती।”
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राजा गरीब आदमी की बातों का अर्थ उसे समझ आ गया और उसे अपने घमंडी स्वभाव पर अफ़सोस हुआ।
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उस दिन से, राजा ने अपनी प्रजा के साथ अधिक सम्मान और दया के साथ व्यवहार करना शुरू कर दिया।
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राजा ने सीखा कि सच्ची महानता धन या शक्ति से नहीं, बल्कि दूसरों के प्यार और सम्मान से मापी जाती है।
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कहानी से सीखकहानी का सार यह है कि अहंकार और अभिमान हमें अपनी कमियों के प्रति अंधा बना सकता है और हमें दूसरों में मूल्य देखने से रोक सकता है। सच्ची महानता को भौतिक संपत्ति या सामाजिक स्थिति से नहीं मापा जाता है, बल्कि जिस तरह से हम दूसरों के साथ दया और सम्मान के साथ पेश आते हैं।