एक नदी में एक मगरमच्छ रहता था। वह बहुत चालाक था। बहुत सारी मछलियों को खाने के बाद उसने सोचा क्यों न इंसानों को खाया जाय। एक दिन एक आदमी नदी में नहा रहा था। मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया और खींच कर नदी के अंदर ले गया।

मगरमच्छ को कई दिनों का भोजन मिल चुका था। लेकिन उस आदमी को मगर ने खा लिया यह बात आस पास के कई गांवों में फैल गई। अब कोई भी नदी के पास नहीं जाता था। मगरमच्छ का मन बहुत परेशान रहने लगा। उसे शिकार करने का मौका नहीं मिल रहा था।

एक दिन वह पानी के अंदर तैर कर मछलियों को खाने की कोशिश कर रहा था। तभी उसे पानी में एक पोटली नजर आई। मगर ने देखा उसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे। अब मगर को एक उपाय सूझा उसने उस पोटली को अपनी पीठ के उपर रख लिया और पानी की सतह पर घूमने लगा।

दोपहर के समय गांव के कुछ किसान अपने खेत में काम कर रहे थे। सूरज की किरणें सोने के सिक्कों पर पड़ीं तो वो चमकने लगे। उसकी चमक देख कर एक किसान नदी के पास आया तो उसें सोने के सिक्कों से भरी पोटली नजर आई। दूर से उसे पोटली के नीचे मगर जो कि पानी के अंदर था वह नहीं दिखा।

वह किसान सोने के लालच में जैसे ही पानी में गया मगर ने उसका पैर पकड़ कर खींच लिया। अब मगर का यह हर दिन का काम हो गया। वह दोपहर के समय नदी के किसी न किसी किनारे पर अपनी पीठ पर सोने के सिक्कों की पोटली रख कर पहुंच जाता। सीधे सादे गांव वाले सोने के लालच में मगर का शिकार बन जाते थे।

कई गांव में यह बात फैल जाती है। कि मगरमच्छ लोगों का शिकार कर रहा है। लेकिन किसी को भी यह नहीं पता लगता कि मना करने के बाद भी लोग नदी के पास क्यों चले जाते हैं। एक दिन सभी गांव वालों ने मिल कर पंचायत की उसमें फैसला लिया गया कि नदी के किनारे पर पहरा देने के लिये गांव के कुछ नौजवान जो दूर खड़े रहकर नदी पर नजर रखेंगे कि कोई नदी में न जाये।

गांव के नौजवानों को नदी के किनारे पर खड़ा कर दिया गया। मगरमच्छ ने जब यह सब देखा तो वह कुछ दिन के लिये वहां से दूर चला गया। पोटली को उसने एक पत्थर के नीचे छुपा दिया। जब से नदी के किनारे लोगों को खड़ा किया गया। एक भी आदमी के मरने की खबर नहीं आई कुछ दिन बाद लोग बेफिक्र हो गये। उन्हें लगा कि मगरमच्छ नदी के साथ कहीं ओर चला गया।

धीरे धीरे नदी के आस पास से लोग हट गये और अपने अपने काम में लग गये। कुछ दिन सब ठीक चलता रहा लेकिन दो महीने बाद ही फिर से गांव के लोग गायब होने लगे। इससे सब बहुत परेशान हो जाते हैं।

गांव वाले इकट्ठे होकर कलैक्टर साहब के पास जाकर फरियाद करते हैं। कलैक्टर साहब शहर से दो शिकारियों को बुला कर नदी किनारे छिपा देते हैं। दोंनो शिकारी छिप कर देखने लगते हैं कि मगर कब आता है। लेकिन कुछ दिन मगर नहीं आता। फिर वे एक दो किसानों से बात करके उन्हें नदी किनारे घूमने के लिये कहते हैं और शिकारी छिप कर उन पर नजर रखते हैं।

एक दिन मगर वहीं सोने के सिक्कों की पोटली लेकर पानी पर तैरता दिखाई देता है। सिक्कों की चमक से किसान और शिकारियों को सारी बात समझ में आ जाती है।

दोंनो शिकारी छिप कर पोटली के आस पास निशाना लगा कर गोलियों चला देते हैं। जिससे मगर मर जाता है। सभी गांव वालों की जान में जान आती है। कलैक्टर साहब वो सोने के सिक्कों की पोटली उन दोंनो शिकारियों को ईनाम के रूप में दे देते हैं।

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