अल्बर्ट आइंस्टीन को बचपन में डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी हो गई थी, जिसके कारण वे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते थे। इसके बावजूद वे सदी के सबसे महान वैज्ञानिक बने। यह उनकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के कारण हुआ जिसको आप जीवन में फोकस करना भी कहते है।

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किया गया कार्य = बिताया गया समय × फोकस की तीव्रता अब आप समझ ही गए होंगे कि अगर कोई काम कम समय में करना है तो फोकस की तीव्रता बढ़ानी होगी। इस लेख में हम अपने ध्यान को बेहतर बनाने के लिए छह व्यावहारिक कदम सीखते हैं।

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01. सक्रिय इंद्रिय अंग के साथ काम करें

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हमारा मन हमेशा हमारे इंद्रियों के माध्यम से हमारे परिवेश से जानकारी ग्रहण कर रहा है। और यही कारण है कि हमारा ध्यान बहुत जल्दी टूट जाता है। तो इससे बचने के लिए एक चीज जो आप कर सकते हैं, वह है अपनी इन्द्रियों को उसी काम में लगाना।

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02. सभी व्याकुलता समाप्त करें

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अपने आप से ये दो प्रश्न पूछें। १. आप खुद को कहां एकांत कर सकते हैं? २. आप खुद को कब एकांत कर सकते हैं? और अगर आप ऐसा रोजाना दो घंटे तक भी करते हैं तो इससे आपको काफी फायदा होगा। और इन दो घंटों में आप अपने दिन का अधिकतम एमआईटी [MIT - Most Important Task] सबसे महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर लेंगे।

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03. बोरियत का काम करें

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हर किसी में फोकस करने की क्षमता होती है, लेकिन फोकस की तीव्रता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कुछ बोरिंग कामों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। उदाहरण के लिए- अधिकांश लोग सुडोकू (Sudoku) जैसे खेल खेलना पसंद नहीं करते हैं। तो आप बोर होने पर भी इस तरह के गेम खेल सकते हैं। ऐसा करने से आपको सिर्फ मनोरंजक चीजों पर ध्यान देने की आदत से छुटकारा मिल जाएगा।

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04. छोटे काम से शुरू करें

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यह कदम उन लोगों के लिए है जिन्हें लगता है कि उनकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बहुत कमजोर है। आपको छोटे कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता विकसित करनी होगी। उदाहरण के लिए- यदि आप 10 मिनट का वीडियो देखते हैं, तो अगले 10 मिनट तक केवल उसी वीडियो को देखें और किसी अन्य काम पर ध्यान न दें। जब आप कोई लेख पढ़ते हैं तो आप भी ऐसा ही कर सकते हैं

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05. धैर्य रखना

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बिना किसी व्याकुलता के लगातार चालीस मिनट तक काम करने के बाद ही हम प्रवाह अवस्था में प्रवेश कर पाते हैं। प्रवाह अवस्था का अर्थ है फोकस की अत्यधिक तीव्रता। प्रवाह की स्थिति में हमारी उत्पादकता में 500% की वृद्धि होती है।

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06. ध्यान

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ध्यान केवल अध्यात्म के लिए नहीं है। ध्यान करते समय भी हमें अपने विचारों पर, अपनी सांसों पर ध्यान देना होता है। आपको दिन में कम से कम बीस मिनट ध्यान करना चाहिए।

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