Hindi Kala presents Viral Pakistani Shayar Tahzeeb Hafi Shayari in Hindi with English Lyrics & Translation. Collection of his all-famous Ghazals & Nazm and Shayari.
Tahzeeb Hafi Ghazals | तहज़ीब हाफी की ग़ज़लें
Aaine Aankh Mein Chubhte The Bistar Se Badan Katrata Tha | आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था
आईने आंख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था
एक याद बसर करती थी मुझे मै सांस नहीं ले पाता था
एक शख्स के हाथ में था सब कुछ मेरा खिलना भी मुरझाना भी
रोता था तो रात उजड़ जाती हंसता था तो दिन बन जाता था
मै रब से राब्ते में रहता मुमकिन है की उस से राब्ता हो
मुझे हाथ उठाना पड़ते थे तब जाकर वो फोन उठाता था
मुझे आज भी याद है बचपन में कभी उस पर नजर अगर पड़ती
मेरे बस्ते से फूल बरसते थे मेरी तख्ती पे दिल बन जाता था
हम एक ज़िंदान में जिंदा थे हम एक जंजीर में बढ़े हुए
एक दूसरे को देख कर हम कभी हंसते थे तो रोना आता था
वो जिस्म नजरअंदाज नहीं हो पाता था इन आंखों से
मुजरिम ठहराता था अपना कहने को तो घर ठहराता था
Aaj Jin Jheelo Ka Bas Kagaz Mein Naksha Rah Gaya | आज जिन झीलों का बस काग़ज़ में नक्शा रह गया
आज जिन झीलों का बस काग़ज़ में नक्शा रह गया
एक मुद्दत तक मैं उन आँखों से बहता रह गया
मैं उसे ना-क़ाबिल-ए-बर्दाश्त समझा था मगर
वो मेरे दिल में रहा और अच्छा ख़ासा रह गया
वो जो आधे थे तुझे मिलकर मुक़म्मल हो गए
जो मुक़म्मल था वो तेरे ग़म में आधा रह गया
Aankh Ki Khidkiya Khuli Hogi | आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी
आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी
दिल में जब चोरीयाँ हुई होंगी
या कहीं आइने गिरे होंगे
या कहीं लड़कियाँ हँसी होंगी
íया कहीं दिन निकल रहा होगा
या कहीं बस्तियाँ जली होंगी
या कहीं हाथ हथकड़ी में क़ैद
íया कहीं चूड़ियाँ पड़ी होंगी
या कहीं ख़ामशी की तक़रीबात
या कहीं घंटियाँ बजी होंगी
लौट आयेंगे शहर से भाई
हाथ में राखियाँ बँधी होंगी
उन दिनों कोई मर गया होगा
जिन दिनों शादियाँ हुई होंगी
Ab Mazeed Uss Se Yeh Rishta Nahi Rakha Jata | अब मजीद उससे ये रिश्ता नहीं रखा जाता
अब मजीद उससे ये रिश्ता नहीं रखा जाता
जिस से इक शख़्स का परदा नहीं रखा जाता
एक तो बस में नहीं तुझ से मुहब्बत न करू
और फिर हाथ भी हल्का नहीं रखा जाता
पढ़ने जाता हूं तो तस्मे नहीं बांदे जाते
घर पलटता हूं तो बस्ता नहीं रखा जाता
दर-ओ-दीवार पे जंगल का गुमां होता है
मुझ से अब घर में परिंदा नहीं रखा जाता
Ab Uss Janib Se iss Kasrat Se Tohfe Aa Rahe Hai | अब उस जानिब से इस कसरत से तोहफे आ रहे हैं
अब उस जानिब से इस कसरत से तोहफे आ रहे हैं
के घर में हम नई अलमारियाँ बनवा रहे हैं।
हमे मिलना तो इन आबादियों से दूर मिलना
उससे कहना गए वक्तू में हम दरिया रहे हैं।
तुझे किस किस जगह पर अपने अंदर से निकालें
हम इस तस्वीर में भी तूझसे मिल के आ रहे हैं।
हजारों लोग उसको चाहते होंगे हमें क्या
के हम उस गीत में से अपना हिस्सा गा रहे हैं।
बुरे मौसम की कोई हद नहीं तहजीब हाफी
फिजा आई है और पिंजरों में पर मुरझा रहे हैं।
Ajeeb Khawaab Tha Uske Badan Mein Kaayi Thi | अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी
अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी
वो इक परी जो मुझे सब्ज़ करने आई थी
íवो इक चराग़-कदा जिस में कुछ नहीं था मेरा
वो जल रही थी वो क़िंदील भी पराई थी
न जाने कितने परिंदो ने इस में शिरकत की
कल एक पेड़ की तरक़ीब-ए-रू-नुमाई थी
हवाओ आओ मिरे गाँव की तरफ देखो
जहाँ ये रेत है पहले यहाँ तराई थी
किसी सिपाह ने ख़ेमे लगा दिये है वहाँ
जहाँ ये मैं ने निशानी तिरी दबाई थी
गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से
मिरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी
Ashq Jayia Ho Rahe The Dekh Kar Rota Na Tha | अश्क ज़ाएअ’ हो रहे थे देख कर रोता न था
अश्क ज़ाएअ’ हो रहे थे देख कर रोता न था
जिस जगह बनता था रोना मैं उधर रोता न था
सिर्फ़ तेरी चुप ने मेरे गाल गीले कर दिए
मैं तो वो हूँ जो किसी की मौत पर रोता न था
मुझ पे कितने सानहे गुज़रे पर इन आँखों को क्या
मेरा दुख ये है कि मेरा हम-सफ़र रोता न था
मैं ने उस के वस्ल में भी हिज्र काटा है कहीं
वो मिरे काँधे पे रख लेता था सर रोता न था
प्यार तो पहले भी उस से था मगर इतना नहीं
तब मैं उस को छू तो लेता था मगर रोता न था
गिर्या-ओ-ज़ारी को भी इक ख़ास मौसम चाहिए
मेरी आँखें देख लो मैं वक़्त पर रोता न था
Baad Mein Mujhse Na Kehna Ghar Palatna Theek Hai | बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है
बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है
वैसे सुनने में यही आया है रस्ता ठीक है
शाख से पत्ता गिरे, बारिश रुके, बादल छटें
मैं ही तो सब कुछ गलत करता हूँ अच्छा ठीक है
जेहन तक तस्लीम कर लेता है उसकी बर्तरी
आँख तक तस्दीक कर देती है बंदा ठीक है
एक तेरी आवाज़ सुनने के लिए ज़िंदा है हम
तू ही जब ख़ामोश हो जाए तो फिर क्या ठीक है
Bata Yeh Abra Musawat Kyun Nahi Karta | बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
महाज़-ए-इश्क़ से कब कौन बच के निकला है
तू बव गया है तो ख़ैरात क्यूँ नहीं करता
वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वा पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता
मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता
मुझे तू जान से बढ़ कर अज़ीज़ हो गया है
तो मेरे साथ कोई हाथ क्यूँ नहीं करता
Bicchad Kar Uss Ka Dil Lag Bhi Gaya To Kya Lagega | बिछड़ कर उस का दिल लग भी गया तो क्या लगेगा
बिछड़ कर उस का दिल लग भी गया तो क्या लगेगा
वो थक जाएगा और मेरे गले से आ लगेगा
मैं मुश्किल में तुम्हारे काम आऊँ या न आऊँ
मुझे आवाज़ दे लेना तुम्हें अच्छा लगेगा
मैं जिस कोशिश से उस को भूल जाने में लगा हूँ
ज़ियादा भी अगर लग जाए तो हफ़्ता लगेगा
मिरे हाथों से लग कर फूल मिट्टी हो रहे हैं
मिरी आँखों से दरिया देखना सहरा लगेगा
मिरा दुश्मन सुना है कल से भूका लड़ रहा है
ये पहला तीर उस को नाश्ते में जा लगेगा
कई दिन उस के भी सहराओं में गुज़रे हैं ‘हाफ़ी’
सो इस निस्बत से आईना हमारा क्या लगेगा
Chechra Dekhe Tere Honth Aur Palkein Dekhe | चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें
चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें
दिल पे आँखे रखें तेरी साँसें देखें
सुर्ख़ लबों से सब्ज़ दुआएँ फूटी हैं
पीले फूलों तुम को नीली आँखें देखें
साल होने को आया है वो कब लौटेगा
आओ खेत की सैर को निकलें कूजें देखें
थोडी देर में जंगल हम को आक़ करेगा
बरगद देखें या बरगद की शाख़े देखें
मेरे मालिक आप तो सब कुछ कर सकते हैं
साथ चलें हम और दुनिया की आँखें देखें
हम तेरे होंटो की लर्ज़िश कब भूले हैं
पानी में पत्थर फेंके और लहरें देखें
Cheekhte Hai Dar-O-Deewar Nahi Hota Main | चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
आँख खुलने पे भी बेदार नहीं होता मैं
ख़्वाब करना हो सफ़र करना हो या रोना हो
मुझ में ख़ूबी है बेज़ार नहीं होता में
अब भला अपने लिए बनना सँवरना कैसा
ख़ुद से मिलना हो तो तय्यार नहीं होता मैं
कौन आएगा भला मेरी अयादत के लिए
बस इसी ख़ौफ़ से बीमार नहीं होता मैं
मंज़िल-ए-इश्क़ पे निकला तो कहा रस्ते ने
हर किसी के लिए हमवार नहीं होता मैं
तेरी तस्वीर से तस्कीन नहीं होती मुझे
तेरी आवाज़ से सरशार नहीं होता मैं
लोग कहते हैं मैं बारिश की तरह हूँ ‘हाफ़ी’
अक्सर औक़ात लगातार नहीं होता मैं
Dil Mohabbat Mein Mubtala Ho Jaye | दिल मोहब्बत में मुब्तला हो जाए
दिल मोहब्बत में मुब्तला हो जाए
जो अभी तक न हो सका हो जाए
तुझ में ये ऐब है कि ख़ूबी है
जो तुझे देख ले तिरा हो जाए
ख़ुद को ऐसी जगह छुपाया है
कोई ढूँढे तो लापता हो जाए
मैं तुझे छोड़ कर चला जाऊँ
साया दीवार से जुदा हो जाए
बस वो इतना कहे मुझे तुम से
और फिर कॉल मुंक़ता’ हो जाए
दिल भी कैसा दरख़्त है ‘हाफ़ी’
जो तिरी याद से हरा हो जाए
Ek Aur Shakhs Chhodkar Chala Gaya To Kya Hua | एक और शख़्स छोड़कर चला गया तो क्या हुआ
एक और शख़्स छोड़कर चला गया तो क्या हुआ
हमारे साथ कौन सा ये पहली मर्तबा हुआ।
अज़ल से इन हथेलियों में हिज्र की लकीर थी
तुम्हारा दुःख तो जैसे मेरे हाथ में बड़ा हुआ
मेरे खिलाफ दुश्मनों की सफ़ में है वो और मैं
बहुत बुरा लगूँगा उस पर तीर खींचता हुआ
Galat Nikle Sab Andaze Hamare | गलत निकले सब अंदाजे हमारे
गलत निकले सब अंदाजे हमारे
की दिन आये नही अच्छे हमारे
सफर से बाज रहने को कहा हैं
किसी ने खोल के तस्मै हमारे
हर एक मौसम बहोत अंदर तक आया
खुले रहते थे दरवाजे हमारे
उस अब्र-ए-मेहरबा से क्या शिकायत
अगर बर्तन नहीं भरते हमारे
अगर हम पर यक़ीन आता नहीं तो
कहीं लगवा लो अंगूठे हमारे
Haan Yeh Sach Hai Ki Mohabbat Nahi Ki | हां ये सच है कि मोहब्बत नहीं की
हां ये सच है कि मोहब्बत नहीं की
दोस्त बस मेरी तबीयत नहीं की
इसलिए गांव मैं सैलाब आया
हमने दरियाओ की इज्जत नहीं की
जिस्म तक उसने मुझे सौंप दिया
दिल ने इस पर भी कनायत नहीं की
मेरे एजाज़ में रखी गई थी
मैने जिस बज़्म में शिरकत नहीं की
याद भी याद से रखा उसको
भूल जाने में भी गफलत नहीं की
उसको देखा था अजब हालत में
फिर कभी उसकी हिफाज़त नहीं की
हम अगर फतह हुए है तो क्या
इश्क ने किस पे हकूमत नहीं की
Hum Tumhare Gham Se Bahar Aa Gaye | हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए
हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए
हिज्र से बचने के मंतर आ गए
मैं ने तुम को अंदर आने का कहा
तुम तो मेरे दिल के अंदर आ गए
एक ही औरत को दुनिया मानकर
इतना घुमा हूँ कि चक्कर आ गए
इम्तिहान-ए-इश्क़ मुश्किल था मगर
नक़्ल कर के अच्छे नंबर आ गए
तेरे कुछ आशिक़ तो गंगाराम हैं
और जो बाक़ी थे बिस्तर आ गए
Ik Haweli Hoon Uss Ka Dar Bhi Hoon | इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ
इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ
ख़ुद ही आँगन ख़ुद ही शजर भी हूँ
अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ
आसमाँ और जमीं की वुसअत देख
मैं इधर भी हूँ और उधर भी हूँ
ख़ुद ही मैं ख़ुद को लिख रहा हूँ ख़त
और मैं अपना नामा-बर भी हूँ
दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर
तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ
एक फलदार पेड़ हूँ लेकिन
वक़्त आने पे बे-समर भी हूँ
Ik Tira Hizra Daimi Hai Mujhe | इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
वर्ना हर चीज़ आरजी़ है मुझे
एक साया मिरे तआकुब में
एक आवाज़ ढूँडती है मुझे
मेरी आँखो पे दो मुक़दस हाथ
ये अंधेरा भी रौशनी है मुझे
मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
इन परिंदो से बोलना सीखा
पेड़ से ख़ामुशी मिली है मुझे
मैं उसे कब का भूल-भाल चुका
ज़िंदगी है कि रो रही है मुझे
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
Iss Ek Darr Se Khwaab Dekhta Nahi | इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
जो देखता हूँ मैं वो भूलता नहीं
किसी मुंडेर पर कोई दिया जला
फिर इस के बाद क्या हुआ पता नहीं
अभी से हाथ काँपने लगे मिरे
अभी तो मैं ने वो बदन छुआ नहीं
मैं आ रहा था रास्ते में फुल थे
मैं जा रहा हूँ कोई रोकता नहीं
तिरी तरफ़ चले तो उम्र कट गई
ये और बात रास्ता कटा नहीं
मैं राह से भटक गया तो क्या हुआ
चराग़ मेरे हाथ में तो था नहीं
मैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बे-ख़बर
मैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहीं
इस अज़दहे की आँख पूछती रहीं
किसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहीं
ये इश्क़ भी अजब कि एक शख़्स से
मुझे लगा कि हो गया हुआ नहीं
ख़ुदा करे वो पेड़ ख़ैरियत से हो
कई दिनों से उस का राब्ता नहीं
Jaane Wale Se Raabta Rah Jaye | जाने वाले से राब्ता रह जाए
जाने वाले से राब्ता रह जाए
घर की दीवार पर दिया रह जाए
इक नज़र जो भी देख ले तुझ को
वो तिरे ख़्वाब देखता रह जाए
इतनी गिर्हें लगी हैं इस दिल पर
कोई खोले तो खोलता रह जाए
íकोई कमरे में आग तापता हो
कोई बारिश में भीगता रह जाए
नींद ऐसी कि रात कम पड़ जाए
ख़्वाब ऐसा कि मुँह खुला रह जाए
झील सैफ़-उल-मुलूक पर जाऊँ
और कमरे में कैमरा रह जाए
Jab Kisi Ek Ko Riha Kiya Jaye | जब किसी एक को रिहा किया जाए
जब किसी एक को रिहा किया जाए
सब असीरों से मशवरा किया जाए
रह लिया जाए अपने होने पर
अपने मरने पे हौसला किया जाए
इश्क़ करने में क्या बुराई है
हाँ किया जाए बारहा किया जाए
मेरा इक यार सिंध के उस पार
ना-ख़ुदाओं से राब्ता किया जाए
मेरी नक़लें उतारने लगा है
आईने का बताओ क्या किया जाए
ख़ामुशी से लदा हुआ इक पेड़
इस से चल कर मुकालिमा किया जाए
Jab Uski Tasveer Banaya Karta Tha | जब उस की तस्वीर बनाया करता था
जब उस की तस्वीर बनाया करता था
कमरा रंगो से भर जाया करता था
पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था
थक जाता था बादल साया करते करते
और फिर मैं बादल पे साया करता था
बैठा रहता था साहिल पे सारा दिन
दरिया मुझ से जान छुड़ाया करता था
बिंत-ए-सहरा रूठा करती थी मुझ से
मैं सहरा से रेत चुराया करता था
Jo Tere Saath Rahte Huye Sogwar Ho | जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो
जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो
लानत हो ऐसे शख़्स पे और बेशुमार हो
अब इतनी देर भी ना लगा, ये हो ना कहीं
तू आ चुका हो और तेरा इंतज़ार हो
मै फूल हूँ तो फिर तेरे बालो में क्यों नही हूँ
तू तीर है तो मेरे कलेजे के पार हो
एक आस्तीन चढ़ाने की आदत को छोड़ कर
‘हाफ़ी’ तुम आदमी तो बहुत शानदार हो
कब तक किसी से कोई मोहब्बत से पेश आएं
उसको मेरे रवय्ये पर दुख है तो यार हो
Kab Paani Girne Se Khushboo Footi Hai | कब पानी गिरने से खुशबू फूटी है
कब पानी गिरने से खुशबू फूटी है
मिट्टी को भी इल्म है बारिश झूठी है
एक रिश्ते को लापरवाही ले डूबी
एक रस्सी ढीली पड़ने पर टूटी है
हाथ मिलाने पर भी उस पे खुला नहीं
ये उंगली पर जख्म है या अंगूठी है
उसका हँसना नामुमकिन था यूं समझो
सीमेंट की दीवार से कोपल फूटी है
नूह से पूछो पीछे रह जाने वालों
कश्ती छूटी है के दुनिया छूटी है
हमने इन पर शेर नहीं लिक्खे हाफी
हमने इन पेड़ों की इज्जत लूटी है
यूं लगता है दिन-ओ-दुनिया छूट गए
मुझ से तेरे शहर की बस क्या छूटी है
Kadam Rakhta Hai Jab Rasto Pe Yaar Aahista Aahista | क़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्ता
क़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्ता
तो छट जाता है सब गर्द-ओ-ग़ुबार आहिस्ता आहिस्ता
भरी आँखों से हो के दिल में जाना सहल थोड़ी है
चढ़े दरियाओं को करते हैं पार आहिस्ता आहिस्ता
नज़र आता है तो यूँ देखता जाता हूँ मैं उस को
कि चल पड़ता है जैसे कारोबार आहिस्ता आहिस्ता
उधर कुछ औरतें दरवाज़ों पर दौड़ी हुई आईं
इधर घोड़ों से उतरे शहसवार आहिस्ता आहिस्ता
किसी दिन कारख़ाना-ए-ग़ज़ल में काम निकलेगा
पलट आएँगे सब बे-रोज़गार आहिस्ता आहिस्ता
तिरा पैकर ख़ुदा ने भी तो फ़ुर्सत में बनाया था
बनाएगा तिरे ज़ेवर सुनार आहिस्ता आहिस्ता
मिरी गोशा-नशीनी एक दिन बाज़ार देखेगी
ज़रूरत कर रही है बे-क़रार आहिस्ता आहिस्ता
वो कहता है हमारे पास आओ पर सलीके से
के जैसे आगे बढ़ती है कतार आहिस्ता आहिस्ता
Kaise Usne Yeh Sab Kuch Mujhse Chhupkar Badla | कैसे उसने ये सब कुछ मुझसे छुपकर बदला
कैसे उसने ये सब कुछ मुझसे छुपकर बदला
चेहरा बदला रस्ता बदला बाद में घर बदला
मैं उसके बारे में ये कहता था लोगों से
मेरा नाम बदल देना वो शख़्स अगर बदला
वो भी ख़ुश था उसने दिल देकर दिल माँगा है
मैं भी ख़ुश हूँ मैंने पत्थर से पत्थर बदला
मैंने कहा क्या मेरी ख़ातिर ख़ुद को बदलोगे
और फिर उसने नज़रें बदलीं और नंबर बदला
Khaak Hi Khaak Thi Aur Khaak Bhi Kya Kuch Nahi Tha | ख़ाक ही ख़ाक थी और ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था
ख़ाक ही ख़ाक थी और ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था
मैं जब आया तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था।
क्या करूं तुझसे ख़यानत नहीं कर सकता मैं
वरना उस आंख में मेरे लिए क्या कुछ नहीं था।
ये भी सच है मुझे कभी उसने कुछ ना कहा
ये भी सच है कि उस औरत से छुपा कुछ नहीं था।
अब वो मेरे ही किसी दोस्त की मनकूहा है
मै पलट जाता मगर पीछे बचा कुछ नहीं था।
Khud Pe Dasht Ki Wahshat Ko Musallat Karuga | ख़ुद पे जब दश्त की वहशत को मुसल्लत करूँगा
ख़ुद पे जब दश्त की वहशत को मुसल्लत करूँगा
इस क़दर ख़ाक उड़ाऊँगा क़यामत करूँगा
हिज्र की रात मिरी जान को आई हुई है
बच गया तो मैं मोहब्बत की मज़म्मत करूँगा
जिस के साए में तुझे पहले पहल देखा था
मैं इसी पेड़ के नीचे तिरी बै’अत करूँगा
अब तिरे राज़ सँभाले नहीं जाते मुझ से
मैं किसी रोज़ अमानत में ख़यानत करूँगा
तेरी यादों ने अगर हाथ बटाया मेरा
अपने टूटे हुए ख़्वाबों की मरम्मत करूँगा
लैलतुल-क़द्र गुज़ारूँगा किसी जंगल में
नूर बरसेगा दरख़्तों की इमामत करूँगा
Khud Par Jab Ishq Ki Wahshat Ko Musallat Karuga | ख़ुद पर जब इश्क़ की वहशत को मुसल्लत करूँगा
ख़ुद पर जब इश्क़ की वहशत को मुसल्लत करूँगा
इस कदर ख़ाक उड़ाऊँगा कयामत करूँगा
हिज्र की रात मेरी जान को आई हुई है
बच गया तो मैं मोहब्बत की मज़म्मत करूँगा
अब तेरे राज़ सँभाले नहीं जाते मुझसे
मैं किसी रोज़ अमानत में ख़यानत करूँगा
लयलातुल क़दर गुज़रेंगे किसी जंगल में
नूर बरसेगा दरख़्तों की इमामत करूँगा
Khwabon Ko Aankhon Se Minha Karti Hai | ख़्वाबों को आँखों से मिन्हा करती है
ख़्वाबों को आँखों से मिन्हा करती है
नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है
उस लड़की से बस अब इतना रिश्ता है
मिल जाए तो बात वगैरा करती है
आवाजों का हब्स अगर बढ़ जाता है
ख़ामोशी मुझ में दरवाज़ा करती है
बारिश मेरे रब की ऐसी नियमत है
रोने में आसानी पैदा करती है
सच पूछो तो हाफ़ी ये तन्हाई भी
जीने का सामान मुहय्या करती है
Kise Khabar Hai Ki Umra Bas Uss Pe Gaur Karne Mein Kat Rahi Hai | किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है
किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है
कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है
अजीब दुख है हम उस के हो कर भी उस को छूने से डर रहे हैं
अजीब दुख है हमारे हिस्से की आग औरों में बट रही है
मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता
सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है
मुझ ऐसे पेड़ों के सूखने और सब्ज़ होने से क्या किसी को
ये बेल शायद किसी मुसीबत में है जो मुझ से लिपट रही है
ये वक़्त आने पे अपनी औलाद अपने अज्दाद बेच देगी
जो फ़ौज दुश्मन को अपना सालार गिरवी रख कर पलट रही है
सो इस तअ’ल्लुक़ में जो ग़लत-फ़हमियाँ थीं अब दूर हो रही हैं
रुकी हुई गाड़ियों के चलने का वक़्त है धुंध छट रही है
Kitni Ratein Kaat Chuka Hoon Par Woh Vasl Ka Din | कितनी रातें काट चुका हूँ पर वो वस्ल का दिन
कितनी रातें काट चुका हूँ पर वो वस्ल का दिन
इस दरिया से पहले कितने जंगल आते हैं
हमें तो नींद भी आती है तो आधी आती है
वो कैसे हैं जिनको ख़्वाब मुकम्मल आते हैं
इस रस्ते पर पेड़ भी आते हैं उसने पूछा
जल कर ख़ुशबू देने वाले संदल आते हैं
कौन है जो इस दिल में ख़ामोशी से उतरेगा
देखो इस आवाज़ पे कितने पागल आते हैं
इक से भड़ कर एक सवारी अस्प-औ-फील भी है
जाने क्यों हम तेरी ज़ानिब पैदल आते हैं
Kuch Jarurat Se Kam Kiya Gaya Hai | कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
तेरे जाने का ग़म किया गया है
ता-क़यामत हरे भरे रहेंगे
इन दरख़्तों पे दम किया गया है
इस लिए रौशनी में ठंडक है
कुछ चराग़ो को नम किया गया है
क्या ये कम है कि आख़िरी बोसा
उस जबीं पर रकम किया गया है
पानियो को भी ख़्वाब आने लगे
अश्क दरिया में ज़म किया गया है
उन की आँखों का तजि़्करा कर के
मेरी आँखों को नम किया गया गया है
धूल में अट गए है सारे ग़ज़ाल
इतनी शिद्दत से रम किया गया है
Kya Galatfahmi Mein Rah Jane Ka Sadma Kuch Nahi | क्या ग़लतफ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नही
क्या ग़लतफ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नही
वो मुझे समझा तो सकता था कि ऐसा कुछ नही
इश्क़ से बच कर भी बंदा कुछ नही होता मग़र
ये भी सच है इश्क़ में बंदे का बचता कुछ नही
जाने कैसे राज़ सीने में लिए बैठा है वो
ज़ह्र खा लेता है पर मुँह से उगलता कुछ नही
शुक्र है कि उसने मुझसे कह दिया कि कुछ तो है
मैं उससे कहने ही वाला था कि अच्छा कुछ नही
Kya Khabar Uss Roshni Mein Aur Kya Kya Roshan Hua | क्या खबर उस रौशनी में और क्या क्या रोशन हुआ
क्या खबर उस रौशनी में और क्या क्या रोशन हुआ
जब वो इन हाथों से पहली बार रोशन रोशन हुआ
वो मेरे सीने से लग कर जिसको रोइ वो कौन था
किसके बुझने पर आज मै उसकी जगह रोशन हुआ
तेरे अपने तेरी किरणो को तरसते हैं यहाँ
तू ये किन गलियों में किन लोगो में जा रोशन हुआ
अब उस ज़ालिम से इस कसरत से तौफे आ रहे हैं
की हम घर में नई अलमारियां बनवा रहे हैं
हमे मिलना तो इन आवादियों से दूर मिलना
उसे कहना गए वक्तों में हम दरिया रहे हैं
बिछड़ जाने का सोचा तो नहीं था हमने लेकिन
तुझे खुश रखने की कोसिस में दुःख पंहुचा रहे हैं
Maheeno Baad Daftar Aa Rahe Hai | महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं
महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं
हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं
तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं
अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं
कहां सोया है चौकीदार मेरा
ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं
समंदर कर चुका तस्लीम हमको
खजाने ख़ुद ही ऊपर आ रहे हैं
यही एक दिन बचा था देखने को
उसे बस में बिठा कर आ रहे हैं
Maine Jo Kuch Bhi Socha Hua Hai, Main Woh Waqt Aane Pe Kar Jauga | मैंने जो कुछ भी सोचा हुआ है, मैं वो वक़्त आने पे कर जाऊँगा
मैंने जो कुछ भी सोचा हुआ है, मैं वो वक़्त आने पे कर जाऊँगा
तुम मुझे ज़हर लगते हो और मैं किसी दिन तुम्हें पी के मर जाऊँगा
तू तो बीनाई है मेरी तेरे अलावा मुझे कुछ भी दिखता नहीं
मैंने तुझको अगर तेरे घर पे उतारा तो मैं कैसे घर जाऊँगा
चाहता हूँ तुम्हें और बहुत चाहता हूँ, तुम्हें ख़ुद भी मालूम है
हाँ अगर मुझसे पूछा किसी ने तो मैं सीधा मुँह पर मुकर जाऊँगा
तेरे दिल से तेरे शहर से तेरे घर से तेरी आँख से तेरे दर से
तेरी गलियों से तेरे वतन से निकाला हुआ हूँ किधर जाऊँगा
Mallaho Ka Dhyaan Batakar Dariya Chori Kar Lena Hai | मल्लाहों का ध्यान बटाकर दरिया चोरी कर लेना है
मल्लाहों का ध्यान बटाकर दरिया चोरी कर लेना है,
क़तरा क़तरा करके मैंने सारा चोरी कर लेना है।
तुम उसको मजबूर किए रखना बातें करते रहने पर
इतनी देर में मैंने उसका लहज़ा चोरी कर लेना है।
आज तो मैं अपनी तस्वीर को कमरे में ही भूल आया हूँ
लेकिन उसने एक दिन मेरा बटुआ चोरी कर लेना है।
मेरे ख़ाक उड़ाने पर पाबन्दी आयत करने वालों
मैंने कौन सा आपके शहर का रास्ता चोरी कर लेना है।
Mere Bas Mein Nahi Warna Kudrat Ka Likha Hua Kaat-ta | मेरे बस में नहीं वरना कुदरत का लिखा हुआ काटता
मेरे बस में नहीं वरना कुदरत का लिखा हुआ काटता
तेरे हिस्से में आए बुरे दिन कोई दूसरा काटता
लारियों से ज्यादा बहाव था तेरे हर इक लफ्ज़ में
मैं इशारा नहीं काट सकता तेरी बात क्या काटता
मैंने भी ज़िंदगी और शब ए हिज़्र काटी है सबकी तरह
वैसे बेहतर तो ये था के मैं कम से कम कुछ नया काटता
तेरे होते हुए मोमबत्ती बुझाई किसी और ने
क्या ख़ुशी रह गयी थी जन्मदिन की, मैं केक क्या काटता
कोई भी तो नहीं जो मेरे भूखे रहने पे नाराज़ हो
जेल में तेरी तस्वीर होती तो हंसकर सज़ा काटता
Mere Dil Mein Yeh Tere Siva Kaun Hai? | मेरे दिल में ये तेरे सिवा कौन है?
मेरे दिल में ये तेरे सिवा कौन है?
तू नहीं है तो तेरी जगह कौन है?
हम मोहब्बत में हारे हुए लोग हैं
और मोहब्बत में जीता हुआ कौन है?
मेरे पहलू से उठ के गया कौन है?
तू नहीं है तो तेरी जगह कौन है?
तूने जाते हुए ये बताया नहीं
मैं तेरा कौन हूँ तू मेरा कौन है
Meri Aankh Se Tera Gham Chhalak To Nahi Gaya | मेरी आंख से तेरा गम छलक तो नहीं गया
मेरी आंख से तेरा गम छलक तो नहीं गया
तुझे ढूंढ कर कहीं मैं भटक तो नहीं गया
यह जो इतने प्यार से देखता है तू आजकल
मेरे दोस्त तू कहीं मुझसे थक तो नहीं गया
तेरी बद्दुआ का असर हुआ भी तो फायदा
मेरे मांद पड़ने से तू चमक तो नहीं गया
बड़ा पुरफरेब है शहदो शिर का ज़ायका
मगर इन लबों से तेरा नमक तो नहीं गया
तेरे जिस्म से मेरी गुफ्तगू रही रात भर
कहीं मैं नशे में ज्यादा बक तो नहीं गया
Mujhko Darwaze Par Hi Rok Liya Jata Hai | मुझको दरवाजे पर ही रोक लिया जाता है
मुझको दरवाजे पर ही रोक लिया जाता है
मेरे आने से भला आप का क्या जाता है
तुम अगर जाने लगे हो तो पलट कर मत देखो
मौत लिखकर तो कलम तोड़ दिया जाता है
तुझको बतलाता मगर शर्म बहुत आती है
तेरी तस्वीर से जो काम लिया जाता है
Mujhse Mat Poocho Ki Mujhko Aur Kya Kya Yaad Hai | मुझसे मत पूछो कि मुझको और क्या क्या याद है
मुझसे मत पूछो कि मुझको और क्या क्या याद है
वो मेरे नज़दीक आया था बस इतना याद है
यूँ तो दश्ते-दिल में कितनों ने क़दम रक्खे मग़र
भूल जाने पर भी एक नक़्श-ए-कफ़-ए-पा याद है
उस बदन की घाटियाँ तक नक़्श हैं दिल पर मेरे
कोहसारों से समंदर तक को दरिया याद है
मुझसे वो काफ़िर मुसलमाँ तो न हो पाया कभी
लेकिन उसको वो तरजुमे के साथ कलमा याद है
Mujhse Milta Hai Par Jism Ki Sarhad Paar Nahi Karta | मुझसे मिलता है पर जिस्म की सरहद पार नहीं करता
मुझ से मिलता है पर जिस्म की सरहद पार नहीं करता
इसका मतलब तू भी मुझसे सच्चा प्यार नहीं करता
दुश्मन अच्छा हो तो जंग में दिल को ठारस रहती है
दुश्मन अच्छा हो तो वो पीछे से वार नहीं करता
रोज तुझे टूटे दिल कम क़ीमत पर लेना पड़ते हैं
इससे अच्छा था तू इश्क़ का कारोबार नहीं करता
Na Neend Aur Na Khwabo Se Aankh Bharni Hai | न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है
न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है
कि उस से हम ने तुझे देखने की करनी है
किसी दरख़्त की हिद्दत में दिन गुज़ारना है
किसी चराग़ की छाँव में रात करनी है
वा फूल और किसी शाख़ पर नहीं खिलना
वो ज़ुल्फ़ सिर्फ़ मिरे हाथ से सँवरनी है
तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हा जाएँ
समुंदरों से अकेले में बात करनी है
हमारे गाँव का हर फूल मरने वाला है
अब इस गली से वो ख़ुश-बू नहीं गुज़रनी है
तिरे ज़ियाँ पे मैं अपना जियाँ न कर बैठूँ
कि मुझ मुरीद का मुर्शिद औवेस क़र्नी है
Nahi Aata Kisi Par Dil Hamara | नहीं आता किसी पर दिल हमारा
नहीं आता किसी पर दिल हमारा
वही कश्ती वही साहिल हमारा
तेरे दर पर करेंगे नौकरी हम
तेरी गालियां है मुस्तकबिल हमारा
कभी मिलता था कोई होटलों में हमें
कभी भरता तो कोई बिल हमारा
Parayi Aag Pe Roti Nahi Banaunga | पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा
पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा
मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा
अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दिया
अलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगा
फ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिन
मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगा
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ
नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा
मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँ
तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगा
तुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुख
मैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगा
मैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने ‘सरवत’ पर
और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा
Payal Kabhi Pehne Kabhi Kangan Use Kehna | पायल कभी पहने कभी कंगन उसे कहना
पायल कभी पहने कभी कंगन उसे कहना
ले आए मुहब्बत में नयापन उसे कहना
मयकश कभी आँखों के भरोसे नहीं रहते
शबनम कभी भरती नहीं बर्तन उसे कहना
घर-बार भुला देती है दरिया की मुहब्बत
कश्ती में गुज़ार आया हूँ जीवन उसे कहना
इक शब से ज़ियादा नहीं दुनिया की मसेरी
इक शब से ज़ियादा नहीं दुल्हन उसे कहना
रह रह के दहक उठती है ये आतिश-ए-वहशत
दीवाने है सहराओं का ईंधन उसे कहना
Raat Ko Deep Ki Lau Kam Nahi Rakhi Jaati | रात को दीप की लो कम नहीं रखी जाती
रात को दीप की लो कम नहीं रखी जाती
धुंध में रोशनी मध्यम नहीं रखी जाती
कैसे दरिया की हिफाजत तेरे जिम्मे ठहराऊ
तुझ से इक आंख अगर नम नहीं रखी जाती
इसलिए छोड़कर जाने लगे सब चारागरा
जख्म से इज्जते मरहम नहीं रखी जाति
ऐसे कैसे मैं तुझे चाहने लग जाऊं भला
घर की बुनियाद तो यकदम नहीं रखी जाती
Sahra Se Aane Wali Hawaon Mein Rait Hai | सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है
सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है
हिजरत करूँगा गाँव से गाँव में रेत है
ऐ क़ैस तेरे दश्त को इतनी दुआएँ दीं
कुछ भी नहीं है मेरी दुआओं में रेत है
सहरा से हो के बाग़ में आ हूंँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
मुद्दत से मेरी आँख में इक ख़्वास है मुक़ीम
पानी में पेड़ पेड़ की छाँव में रेत है
मुझ सा कोई फ़क़ीर नहीं है कि जिस के पास
कश्कोल रेत का है सदाओं में रेत है
Shaitaan Ke Dil Par Chalta Hoon Seeno Mein Safar Karta hoon | शैतान के दिल पर चलता हूं सीनों में सफर करता हूं
शैतान के दिल पर चलता हूं सीनों में सफर करता हूं
उस आंख का क्या बचता है मै जिस आंख में घर करता हूं
जो मुझ में उतरे हैं उनको मेरी लहरों का अंदाजा है
दरियाओ में उठता बैठता हूं सैलाब बसर करता हूं
मेरी तन्हाई का बोझ तुम्हारी बिनाई ले डूबेगा
मुझे इतना करीब से मत देखो आंखों पर असर करता हूं
Shor Karuga Aur Na Kuch Bhi Boluga | शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा
शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा
ख़ामोशी से अपना रोना रो लूँगा
सारी उम्र इसी ख़्वाहिश में गुज़री है
दस्तक होगी और दरवाज़ा खोलूँगा
तन्हाई में ख़ुद से बातें करनी हैं
मेरे मुँह में जो आएगा बोलूँगा
रात बहुत है तुम चाहो तो सो जाओ
मेरा क्या है मैं दिन में भी सो लूँगा
तुम को दिल की बात बतानी है लेकिन
आँखें बंद करो तो मुट्ठी खोलूँगा
So Rahege Ki Jaagte Rahege | सो रहेंगे कि जागते रहेंगे
सो रहेंगे कि जागते रहेंगे
हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे
तू कहीं और ढूँढता रहेगा
हम कहीं और ही खिले रहेंगे
राहगीरों ने रह बदलनी है
पेड़ अपनी जगह खड़े रहे हैं
बर्फ़ पिघलेगी और पहाड़ों में
सालहा-साल रास्ते रहेंगे
सभी मौसम हैं दस्तरस में तिरी
तू ने चाहा तो हम हरे रहेंगे
लौटना कब है तू ने पर तुझ को
आदतन ही पुकारते रहेंगे
तुझ को पाने में मसअला ये है
तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
तू इधर देख मुझ से बातें कर
यार चश्मे तो फूटते रहेंगे
एक मुद्दत हुई है तुझसे मिले
तू तो कहता था राब्ते रहेंगे
Suna Hai Ab Woh Aankhein Kisi Aur Ko Ro Rahi Hai | सुना है अब वो आँखे किसी और को रो रही है
सुना है अब वो आँखे किसी और को रो रही है
मेरे चस्मो से कोई और पानी भर रहा है
बहुत मजबूर होकर मै तेरी आँखों से निकला
खुसी से कौन अपने मुल्क से बाहर रहा है
गले मिलना न मिला तेरी मर्ज़ी है लेकिन
तेरे चहरे से लगता है तेरा दिल कर रहा है
Taarikiyo Ko Aag Lage Aur Diya Jale | तारीकियों को आग लगे और दिया जले
तारीकियों को आग लगे और दिया जले
ये रात बैन करती रहे और दिया जले
उस की ज़बाँ में इतना असर है कि निस्फ़ शब
वो रौशनी की बात करे और दिया जले
तुम चाहते हो तुम से बिछड़ के भी ख़ुश रहूँ
या’नी हवा भी चलती रहे और दिया जले
क्या मुझ से भी अज़ीज़ है तुम को दिए की लौ
फिर तो मेरा मज़ार बने और दिया जले
सूरज तो मेरी आँख से आगे की चीज़ है
मैं चाहता हूँ शाम ढले और दिया जले
तुम लौटने में देर न करना कि ये न हो
दिल तीरगी में घेर चुके और दिया जले
Tera Chehra Tere Honth Aur Palkein Dekhe | तेरा चेहरा तेरे होंठ और पलकें देखें
तेरा चेहरा तेरे होंठ और पलकें देखें
दिल पे आँखें रक्खे तेरी साँसें देखें
मेरे मालिक आप तो ऐसा कर सकते हैं
साथ चले हम और दुनिया की आँखें देखें
साल होने को आया है वो कब लौटेगा
आओ खेत की सैर को निकले कुंजें देखें
हम तेरे होंठों को लरजिश कब भूलें हैं
पानी में पत्थर फेंकें और लहरें देखें
Tera Chup Rehna Mere Zehan Mein Kya Baith Gaya | तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
हिन्दी लिरिक्स
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ
उस ने जिस जिस को भी जाने को कहा बैठ गया
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं
चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया
उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना फलाँ मेरी जगह बैठ गया
बात दरियाओं की सूरज की न तेरी है यहाँ
दो क़दम जो भी मेरे साथ चला बैठ गया
बज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस
जो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया
Lyrics in English with Meaning (Translation)
Tera Chup Rehna Mere Jehan Mein Kya Baith Gaya
Itni Aawazein Tujhe Di Ki Galaa Baith Gaya
(Your silence has sat in my mind like this
Gave you so many calls that my throat got choked)
Yun Nahi Hai Ki Faqat Main Hi Usse Chaahta Hoon
Jo Bhi Uss Pedh Ki Chhanv Mein Gaya Baith Gaya
(It’s not like anything why I only want her
Whoever went to the shade of that tree sat down there)
Itna Meetha Tha Woh Gusse Bhara Lehza Mat Pooch
Uss Ne Jis Jis Ko Bhi Jaane Ko Kaha Baith Gaya
(Don’t ask me how that angry tone was so sweet
whoever she asked to go sat down there with her)
Apna Ladna Bhi Mohabbat Hai Tumhe Ilm Nahi
Cheekhti Tum Rahi Aur Mera Galaa Baith Gaya
(You don’t know that our fight is also love
you only screamed and my throat got tight)
Uss Ki Marzi Woh Jise Paas Bitha Le Apne
Iss Pe Kya Ladna Falaa Meri Jagah Baith Gaya
(It’s her choice whom she wants to sit next to her
Why to fight over this so-and-so sat in my place)
Baat Dariyaon Ki Sooraj Ki Naa Teri Hai Yahan
Do Kadam Jo Bhi Mere Saath Chala Baith Gaya
(It’s not about the rivers and the sun here but yours
Whoever walked two steps with me sat there)
Bazm-E-Jaana Mein Nashistey Nahi Hoti Makhsoos
Jo Bhi Ek Baar Jahan Baith Gaya Baith Gaya
(In dreams my love, there are no special seats
whoever once sat down there just sat down)
Teri Taraf Mera Khayal Kya Gaya | तेरी तरफ़ मेरा ख़याल क्या गया
तेरी तरफ़ मेरा ख़याल क्या गया
के फिर मैं तुझको सोचता चला गया
ये शहर बन रहा था मेरे सामने
íये गीत मेरे सामने लिखा गया
ये वस्ल सारी उम्र पर मुहीत है
ये हिज्र एक रात में समा गया
मुझे किसी की आस थी न प्यास थी
ये फूल मुझको भूल कर दिया गया
बिछड़ के साँस खेंचना मुहाल था
मैं ज़िंदगी से हाथ खेंचता गया
मैं एक रोज दस्त क्या गया के फिर
वो बाग़ मेरे हाथ से चला गया
Thoda Likha Aur Jiyada Chhod Diya | थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया
थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया
आने वालों के लिए रस्ता छोड़ दिया
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया
लड़कियाँ इश्क़ में कितनी पागल होती हैं
फ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया
रोज़ इक पत्ता मुझ में आ गिरता है
जब से मैंने जंगल जाना छोड़ दिया
बस कानों पर हाथ रखे थे थोड़ी देर
और फिर उस आवाज़ ने पीछा छोड़ दिए
Tilism-e-Yaar Yeh Pehloo Nikaal Leta Hai | तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है
तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है
कि पत्थरों से भी ख़ुशबू निकाल लेता है
है बे-लिहाज़ कुछ ऐसा की आँख लगते ही
वो सर के नीचे से बाज़ू निकाल लेता है
कोई गली तेरे मफ़रूर-ए-दो-जहाँ की तरफ़
नहीं निकलती मगर तू निकाल लेता है
ख़ुदा बचाए वो कज़ाक शहर में आया
हो जेब खाली तो आँसू निकाल लेता है
अगर कभी उसे जंगल में शाम हो जाए
तो अपनी जेब से जुगनू निकाल लेता है
Toot Bhi Jau To Tera Kya Hai | टूट भी जाऊँ तो तेरा क्या है
टूट भी जाऊँ तो तेरा क्या है
रेत से पूछ आइना क्या है
फिर मेरे सामने उसी का ज़िक्र
आपके साथ मसला क्या है
सब परिंदों से प्यार लूँगा मै
पेड़ का रूप धर लूँगा मै
तू निशाने में आ भी जाये अगर,
कौन सा तीर मार लूँगा मै
Tujhe Bhi Apne Saath Rakhta Aur Use Bhi Apna Deewana Bana Leta | तुझे भी अपने साथ रखता और उसे भी अपना दीवाना बना लेता
तुझे भी अपने साथ रखता और उसे भी अपना दीवाना बना लेता
अगर मैं चाहता तो दिल में कोई चोर दरवाज़ा बना लेता
मैं अपने ख्वाब पूरे कर के खुश हूँ पर ये पछतावा नही जाता
के मुस्तक़बिल बनाने से तो अच्छा था तुझे अपना बना लेता
अकेला आदमी हूँ और अचानक आये हो, जो कुछ था हाजिर है
अगर तुम आने से पहले बता देते तो कुछ अच्छा बना लेता
Tujhe Bhi Khauf Tha Teri Mukhalfat Karuga Main | तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मै
तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मै
और अब नहीं करूँगा तो गलत करूँगा मै
उसे कहो के अहद-ए-तर्क-ए-रस्मो-राह लिख के दे
कलाई काट के लहू से दशतख्त करूँगा मै
मेरे लबों ने उस ज़मीं को दाग दार कर दिया
गलत नहीं भी हूँ तो उससे माजरत करूँगा मै
तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मैं
और अब अगर नही करूंगा तो गलत करुँगा मैं
Tumne To Bas Diya Jalana Hota Hai | तुमने तो बस दिया जलाना होता है
तुमने तो बस दिया जलाना होता है
हमने कितनी दूर से आना होता है
आँसू और दुआ में कोई फ़र्क नहीं
और रो देना भी हाथ उठाना होता है
मेरे साथ परिन्दे कुछ इंसान भी हैं
मैंने अपने घर भी जाना होता है
तुम अब उन रस्तों पर हो तहज़ीब जहाँ
मुड़कर तकने पर जुर्माना होता है
Tune Kya Kindeel Jala Di Shehzadi | तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी
तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी
सुर्ख़ हुई जाती है वादी शहज़ादी
शीश-महल को साफ़ किया तिरे कहने पर
आइनों से गर्द हटा दी शहज़ादी
अब तो ख़्वाब-कदे से बाहर पाँव रख
लौट गए है सब फ़रियादी शहज़ादी
तेरे ही कहने पर एक सिपाही ने
अपने घर को आग लगा दी शहज़ादी
मैं तेरे दुश्मन लश्कर का शहज़ादा
कैसे मुमकिन है ये शादी शहज़ादी
Usi Jagah Par Jahan Kai Raaste Milege | उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे
उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे
पलट के आए तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गई तो
हम ऐसे बुज़दिल भी पहली सफ़ में खड़े मिलेंगे
तुझे ये सड़कें मेरे तवस्सुत से जानती हैं
तुझे हमेशा ये सब इशारे खुले मिलेंगे
Uske Chahne Walo Ka Aaj Uski Gali Mein Dharna Hai | उसके चाहने वालों का आज उसकी गली में धरना है
उसके चाहने वालों का आज उसकी गली में धरना है
यहीं पे रुक जाओ तो ठीक है आगे जाके मरना है
रूह किसी को सौंप आये हो तो ये जिस्म भी ले जाओ
वैसे भी मैंने इस खाली बोतल का क्या करना है
आँख से आँसू दिल से दर्द उमड़ आने पर हैरत क्या
मुझे पता था उसने हर बर्तन का नूतन भरना है
Uske Hathon Mein Jo Khanjar Hai Jyada Tez Hai | उसके हाथों में जो खंजर है ज्यादा तेज है
उसके हाथों में जो खंजर है ज्यादा तेज है
और फिर बचपन से ही उसका निशाना तेज है
जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता मुझे
कोई आहिस्ता से कहता था की दरिया तेज है
आज मिलना था बिछड़ जाने की नीयत से हमे
आज भी वो देर से पंहुचा है कितना तेज है
अपना सब कुछ हार के लौट आये हो न मेरे पास
मै तुम्हे केहता भी रहता की दुनिया तेज है
आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाजा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोडा सा मीठा तेज है
Usse Bhi Saath Rakhta Aur Tujhe Bhi Apna Bana Leta | उसे भी साथ रखता, और तुझे भी अपना बना लेता
उसे भी साथ रखता, और तुझे भी अपना बना लेता
अगर मैं चाहता, तो दिल में कोई चोर दरवाज़ा बना लेता
ख्वाब पुरे कर के खुश हूँ, पर ये पछतावा नहीं जाता
के मुस्तक़बिल बनाने से तो अच्छा था, तुझे अपना बना लेता
अकेला आदमी हूँ, और अचानक आये हो जो कुछ था हाज़िर है,
और तुम आने से, पहले बता देते, तो कुछ अच्छा बना लेता
Waise Maine Duniya Mein Kya Dekha Hai | वैसे मैंने दुनिया में क्या देखा है
वैसे मैं ने दुनिया में क्या देखा है
तुम कहते हो तो फिर अच्छा देखा है
मैं उस को अपनी वहशत तोहफ़े में दूँ
हाथ उठाए जिस ने सहरा देखा है
बिन देखे उस की तस्वीर बना लूँगा
आज तो मैं ने उस को इतना देखा है
एक नज़र में मंज़र कब खुलते हैं दोस्त
तू ने देखा भी है तो क्या देखा है
इश्क़ में बंदा मर भी सकता है मैं ने
दिल की दस्तावेज़ में लिखा देखा है
मैं तो आँखें देख के ही बतला दूँगा
तुम में से किस किस ने दरिया देखा है
आगे सीधे हाथ पे एक तराई है
मैं ने पहले भी ये रस्ता देखा है
तुम को तो इस बाग़ का नाम पता होगा
तुम ने तो इस शहर का नक़्शा देखा है
Yah Soch Kar Mera Sehra Mein Jee Nahi Lagta | यह सोच कर मेरा सहरा में जी नहीं लगता
यह सोच कर मेरा सहरा में जी नहीं लगता
मैं शामिले सफे आवारगी नहीं लगता
कभी-कभी वो ख़ुदा बन के साथ चलता है
कभी-कभी तो वो इंसान भी नहीं लगता
यकीन क्यों नहीं आता तुझे मेरे दिल पर
ये फल कहां से तुझे मौसमी नहीं लगता
मैं चाहता हूं वो मेरी जबीं पे बौसा दे
मगर जली हुई रोटी को घी नहीं लगता
तेरे ख्याल से आगे भी एक दुनिया है
तेरा ख्याल मुझे सरसरी नहीं लगता
मैं उसके पास किसी काम से नहीं आता
उसे ये काम कोई काम ही नहीं लगता
Yeh Ek Baat Samajhne Mein Raat Ho Gayi Hai | ये एक बात समझने में रात हो गई है
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगा
मिरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है
बिछड़ के तुझ से न ख़ुश रह सकूंगा सोचा था
तिरी जुदाई ही वजह-ए-नशात हो गई है
बदन में एक तरफ़ दिन जुलूअ मैं ने किया
बदन के दूसरे हिस्से में रात हो गई है
मैं जंगलों की तरफ़ चल पडा हूंँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
रहेगा याद मदीने से वापसी का सफ़र
मैं नज़्म लिखने लगा था कि नात हो गई है
Yeh Kis Tarah Ka Taaluq Hai Aapka Mere Saath | ये किस तरह का ताल्लुक है आपका मेरे साथ
ये किस तरह का ताल्लुक है आपका मेरे साथ
मुझे ही छोड़ के जाने का मशवरा मेरे साथ
यही कहीं हमें रस्तों ने बद्दुआ दी थी
मगर मैं भुल गया और कौन था मेरे साथ
वो झांकता नहीं खिड़की से दिन निकलता है
तुझे यकीन नहीं आ रहा तो आ मेरे साथ
Yeh Maine Kab Kaha Ki Mere Haq Mein Faisla Kare | ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे
मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे
मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है
ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे
बना चुका हूँ मैं मोहब्बतों के दर्द की दवा
अगर किसी को चाहिए तो मुझसे राब्ता करे
Yeh Shayri Yeh Mere Seene Mein Dabi Huyi Aag | ये शायरी ये मेरे सीने में दबी हुई आग
ये शायरी ये मेरे सीने में दबी हुई आग
भड़क उठेगी कभी मेरी जमा की हुई आग
मैं छू रहा हूं तेरा जिस्म ख्वाब के अंदर
बुझा रहा हूं मैं तस्वीर में लगी हुई आग
खिजां में दूर रखो माचिसो को जंगल से
दिखाई देती नहीं पेड़ में छुपी हुई आग
मैं काटता हूं अभी तक वही कटे हुए लफ्ज़
मैं तापता हूं अभी तक वही बुझी हुई आग
यही दिया तुझे पहली नजर में भाया था
खरीद लाया मैं तेरी पसंद की हुई आग
एक उम्र से जल बूझ रहा हूं इनके सबब
तेरा बचा हुआ पानी तेरी बची हुई आग
Zakhmon Ne Mujh Mein Darwaze Khole Hai | ज़ख़्मों ने मुझ में दरवाज़े खोले हैं
ज़ख़्मों ने मुझ में दरवाज़े खोले हैं
मैं ने वक़्त से पहले टाँके खोले हैं
बाहर आने की भी सकत नहीं हम में
तू ने किस मौसम में पिंजरे खोले हैं
बरसों से आवाज़ें जमती जाती थीं
ख़ामोशी ने कान के पर्दे खोले हैं
कौन हमारी प्यास पे डाका डाल गया
किस ने मश्कीज़ों के तस्मे खोले हैं
वर्ना धूप का पर्बत किस से कटता था
उस ने छतरी खोल के रस्ते खोले हैं
ये मेरा पहला रमज़ान था उस के बग़ैर
मत पूछो किस मुँह से रोज़े खोले हैं
यूँ तो मुझ को कितने ख़त मौसूल हुए
इक दो ऐसे थे जो दिल से खोले हैं
मन्नत मानने वालों को मालूम नहीं
किस ने आ कर पेड़ से धागे खोले हैं
दरिया बंद किया है कूज़े में ‘तहज़ीब’
इक चाबी से सारे ताले खोले हैं
Zehan Par Zor Dene Se Bhi Yaad Nahi Aata Ki Hum Kya Dekhte The | जहन पर जोर देने से भी याद नहीं आता कि हम क्या देखते थे
जहन पर जोर देने से भी याद नहीं आता कि हम क्या देखते थे
सिर्फ इतना पता है कि हम आम लोगों से बिल्कुल जुदा देखते थे।
तब हमें अपने पुरखों से विरसे में आई हुई बद्दुआ याद आई
जब कभी अपनी आंखों के आगे तुझे शहर जाता हुआ देखते थे।
सच बताएं तो तेरी मोहब्बत ने खुद पर तवज्जो दिलाई हमारी
तू हमें चूमता था तो घर जाकर हम देर तक आईना देखते थे।
सारा दिन रेत के घर बनते हुए और गिरते हुए बीत जाता
शाम होते ही हम दूरबीनों में अपनी छतों से खुदा देखते थे।
उस लड़ाई में दोनों तरफ कुछ सिपाही थे जो नींद में बोलते थे
जंग टलती नहीं थी सिरों से मगर ख्वाब में फ़ाख्ता देखते थे।
दोस्त किसको पता है कि वक़्त उसकी आँखों से फिर किस तरह पेश आया
हम इकट्ठे थे हंसते थे रोते थे एक दूसरे को बड़ा दखते थे।
Zindgi Bhar Phool Hi Bhijwaoge | ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे
ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे
या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे
पैहरेदारों से बचूंगा कब तलक
दोस्त तुम एक दिन मुझे मरवाओगे
खुद को आईने में कम देखा करो
एक दिन सूरज-मुखी बन जाओगे