राहुल द्रविड़ – भारतीय क्रिकेट का डेयरडेविल | Rahul Dravid – Daredevil of Indian Cricket

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Hindi Kala presents you a tribute article Rahul Dravid Daredevil of Indian Cricket by Suraj Saraswati on the 49th Birthday of the legendary cricketer.

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Rahul Dravid

कहते हैं क्रिकेटर का असली परीक्षण 20-20 में नहीं बल्कि टेस्ट क्रिकेट की भूमि पर होता है। जहाँ आपके शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक क्षमता का गहराई से अवलोकन किया जाता है। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दो सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाज हुएं। लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर और जैमी बॉय राहुल द्रविड़। और आज राहुल द्रविड़ का जन्मदिन है।

द ग्रेट वॉल केवल चीन के पास ही नहीं भारतीयों के पास भी है। एक ऐसी दीवार जो जब क्रीज़ पर बनती थी तो विरोधी टीम उसे तोड़ने की नहीं बल्कि अपने खेल में बचे रहने की प्रार्थना करती थी। तीसरे नम्बर पर बैटिंग के लिए आने वाले द्रविड़ का बस एक कार्य था अपनी टीम को स्थिरता देना और विरोधियों को थकान और हार की निराशा के उस दलदल में झोंकना था जिससे उनका उबर पाना असंभव हो जाए।

2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के विरुद्ध खेले गए टेस्ट में 12 घण्टे तक क्रीज़ पर रहते हुए द्रविड़ ने अपने करियर का सर्वोच्च प्रदर्शन करते हुए 270 रन बनाए थे। कहना गलत नहीं होगा मुल्तान में जितने सुल्तानों ने कदम रखा वो भारत की धरती से थे।

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज़्यादा गेंदों का सामना करने वाले द्रविड़ के लिए आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने कहा था कि “वह क्रिकेट के सबसे अग्रेसिव खिलाड़ी हैं।” इसकी गूढ़ता पता इसी बात से लगता है कि ये बयान उस शख़्स का है जिसके बैट से लगने के बाद गेंद फील्डर के हाथ छेदती हुई बाउंड्री पार कर जाती थी।

किसी भी विशिष्ट व्यक्ति के पीछे दो शब्द अवश्य रहते हैं। पहली प्रतिभा दूसरी कड़ी मेहनत। हमारे समय में यह कहना बहुत व्यवहारिक हो गया है कि सबकुछ आपके परिश्रम का परिणाम है। प्रतिभा जैसी कोई चीज़ नहीं होती । मैल्कम ग्लैडवेल के शब्दों में इसे ही 10000 ऑर रूल कहा गया है। यह नियम उस समय को दर्शाता है जो कोई व्यक्ति अपनी कला की चोटी तक पहुँचने में लगाता है।

लेकिन कोई व्यक्ति यदि 10000 घण्टे परिश्रम कर भी ले तो वह तेंदुलकर, केविन पीटरसन या रॉजर फेडरर नहीं बन सकता है। आपके अन्दर कुछ ऐसा होना चाहिए जो आपको और आपके द्वारा किये जा रहे परिश्रम को औरों से पृथक करता है।

इंग्लैंड के क्रिकेटर और लेखक एड स्मिथ के शब्दों में प्रतिभा ऐसी चीज़ है जिसे सीख, कमा या सिखा नहीं सकते हैं। आप किसी को कौशल या स्किल सिखा सकते हैं। लेकिन आप किसी को प्रतिभावान या टैलेंटेड नहीं बना सकते।

भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने अपने एक बयान में कहा था कि “आपको महान खिलाड़ी होने के लिए प्रतिभावान होने की आवश्यकता नहीं है।”

क्या सच में प्रतिभा कुछ नहीं ? पंद्रह सालों तक अपने खेल के सर्वोच्च स्थान पर रहना, दो फॉर्मेट में 10000 से ज़्यादा रन, 39 साल की उम्र में इंग्लैंड की मिट्टी पर 3 टेस्ट शतक, टेस्ट क्रिकेट में 210 कैच अगर ये सबकुछ बिना किसी प्रतिभा के है तो हमें भी वही पिलाओ जो द्रविड़ पीता है। संयोगवश मांजरेकर को जिस खिलाड़ी ने रिप्लेस किया था उसका नाम राहुल द्रविड़ था।

अपने शालीन और शर्मीले व्यवहार के लिए प्रसिद्ध द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट को वह सबकुछ दिया जिसे उसकी आवश्यकता थी।

खेल जब उत्साह पढ़ाने से अधिक आत्मसंतुष्टि का विषय बन जाता है तब क्रीज़ पर द्रविड़ का आगमन होता है। द्रविड़ का खेल सच में एक सुखांत कविता है। जिसे देखने के बाद शरीर हल्का पड़ जाता है। आपके मन में कोई इच्छा नहीं रहती। जैसे ईश्वर से सामने खड़े होने के बाद आपको नहीं पता रहता आप मांगने क्या आए थे। सब तो मिल गया।

49वें जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं सर द्रविड़ 🌺

सूरज सरस्वती शाण्डिल्य


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