केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि “स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता नीति” (Menstrual Hygiene Policy for Schoolgirls) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी गई है और इसे 2 नवंबर, 2024 को लागू किया जाएगा।
अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद विकसित की गई इस नीति का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान करके और पर्यावरण के अनुकूल मासिक धर्म अपशिष्ट निपटान प्रथाओं को बढ़ावा देकर स्कूली छात्राओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता में सुधार करना है।
यह घोषणा कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा कक्षा 6-12 की लड़कियों के लिए मुफ़्त सैनिटरी पैड की वकालत करने वाली जनहित याचिका की सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा के साथ मेल खाती है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और पंकज मिथल की पीठ 12 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई करेगी।
सरकार के हलफनामे में मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता में सुधार लाने और स्कूलों में मासिक धर्म से जुड़े कलंक को दूर करने के लिए नीति के इरादे को रेखांकित किया गया है।
सरकार के अनुसार, 97.5% भारतीय स्कूलों में अब छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा है, दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी जैसे क्षेत्रों में यह सुविधा पूरी तरह से उपलब्ध है। इसके अलावा, इस पहल को बढ़ावा देने के लिए देशभर में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्राओं को मासिक धर्म स्वच्छता किट वितरित की जा रही हैं।
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