Mahamrityunjay Mantra in Hindi, Sanskrit, and English with simple meaning and its benefits. Mahamrityunjay Jaap Om Tryambakam Yajamahe meaning and how it should be used. All details.
maha mrityunjaya mantra | महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र को ‘रूद्र मंत्र’ या ‘त्र्यंबकम मंत्र‘ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंत्र हिन्दु धर्म के चार वेदो में से एक ‘ऋग्वेद’ (7.59)) से लिया गया है। यह श्लोक ‘त्र्यंबकम’ को समर्पित है, त्र्यंबकम का अर्थ है ‘तीन आँखों वाले’ अर्थार्त ‘भगवान रूद्र’ जिन्हे हम भगवान शंकर के नाम से भी जानते है।
यह श्लोक ‘यजुर्वेद’ में भी उल्लेखित है। गायत्री मंत्र के साथ यह समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है।
इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है।
How Mahamrityunjay Mantra Got Created? | महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई?
महामृत्युंजय मंत्र को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का मंत्र भी कहा जाता है। शास्त्रों में इसे महामंत्र कहा गया है। इस मंत्र के जप से व्यक्ति निरोगी रहता है और अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। आइए जानें इस महामंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई?
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति के बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार, भगवान शिव भक्त ऋषि मृकण्डु ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की और इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि मृकण्डु को इच्छानुसार संतान प्राप्त होने का वर तो दिया परन्तु शिव जी ने ऋषि मृकण्डु को बताया कि यह पुत्र अल्पायु होगा जिसका अर्थ है कि उसकी आयु बहुत काम होगी।
यह सुनते ही ऋषि मृकण्डु विषाद से घिर गए। कुछ समय पश्चात ऋषि मृकण्डु को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ऋषियों ने बताया कि इस संतान की उम्र केवल 16 साल ही होगी। यह सुनकर ऋषि मृकण्डु दुखी रहने लगे।
यह देख जब उनकी पत्नी ने दुःख का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बताई। तब उनकी पत्नी ने कहा कि यदि भगवान शिव जी की कृपा होगी, तो यह विधान भी वे टाल देंगे।
ऋषि ने अपने पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा और उन्हें शिव मंत्र भी दिया। मार्कण्डेय भगवान् शिव की भक्ति में लीन रहते। जब समय निकट आया तो ऋषि मृकण्डु ने पुत्र की अल्पायु की बात पुत्र मार्कण्डेय को बताई। साथ ही उन्होंने यह दिलासा भी दी कि यदि शिवजी चाहेंगें तो इसे टाल सकते है।
अपने माता-पिता के दुःख को दूर करने के लिए मार्कण्डेय ने शिव जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए शिव जी आराधना शुरू कर दी।
मार्कण्डेय जी ने दीर्घायु का वरदान की प्राप्ति हेतु शिवजी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठ कर इसका अखंड जाप करने लगे।
समय पूरा होने पर मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए यमदूत आए परंतु उन्हें शिव की तपस्या में लीन देखकर वे यमराज के पास वापस लौट आए और उन्हें पूरी बात बताई।
तब मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए स्वयं साक्षात यमराज आए। यमराज ने जब अपना पाश जब मार्कण्डेय पर डाला, तो बालक मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए। ऐसे में पाश गलती से शिवलिंग पर जा गिरा।
यमराज की आक्रमकता पर शिव जी बहुत क्रोधित हुए और यमराज से रक्षा के लिए भगवान शिव प्रकट हुए। इस पर यमराज ने विधि के नियम की याद दिलाई।
तब शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान देकर विधान ही बदल दिया। साथ ही यह आशीर्वाद भी दिया कि जो कोई भी इस मंत्र का नियमित जाप करेगा वह कभी अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा।
Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in Sanskrit / Hindi
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mahamrityunjay mantra meaning in hindi | महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
त्रयंबकम – त्रि.नेत्रों वाला (कर्मकारक)
यजामहे – हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम – सुगंधित, मीठी महक वाला।
पुष्टि – एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम – वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है। (स्वास्थ्य,धन,सुख में) वृद्धिकारक;जो हर्षित करता है,आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है,एक अच्छा माली।
उर्वारुक – ककड़ी (कर्मकारक)
इवत्र – जैसे, इस तरह।
बंधनात्र – तना
मृत्यु – मृत्यु से
मुक्षिया – हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मा: न
अमृतात – अमरता, मोक्ष।
Simple Translation of Maha Mrityunjaya Mantra | महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद
“हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित और वृद्धि करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग (मुक्त) हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों।”
mahamrityunjay mantra in english
Aum Tryambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhanam |
Urvaarukamiva bandhanaan-mrityormuksheeya maamritaat ||
mahamrityunjay mantra Meaning in english
We worship the three-eyed One (Lord Shiva), who is fragrant and who nourishes us all. Like the fruit falls off from the bondage of the stem, may we be liberated from death, from mortality.
Benefits of Mahamrityunjay Mantra | महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है। यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है।
इसके अलावा दीर्घायु (लम्बी उम्र) के लिए भी नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यह मंत्र मनुष्य को निर्भय भी बनाता है और उसके साथ साथ कई तरह की बीमारियों को भी नष्ट करता है। महादेव को मृत्यु का देवता भी कहते है इसलिए इस मंत्र के जाप से मनुष्य निरोगी होता है।
यश और सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इस मंत्र का रोज जाप करने पर संतान की प्राप्ति होती है, भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
How to Chant mahamrityunjay mantra | महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए
वैसे तो आप अपनी आँखें बंद करके ध्यान की अवस्था में भी इस मंत्र का सच्चे मन से जाप कर सकते है लेकिन यदि आप रोज रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करेंगे तो अधिक फलकारी होगा।
यदि आप किसी अन्य के लिए इसका जाप करवाना चाहते है तो अपने पास के मंदिर के पुजारी जी से संवाद कर सकते है और सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ इसका पाठ भी रखवा सकते है।
How Many Times You Have to Chant mahamrityunjay mantra | महामृत्युंजय मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
- भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
- रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है।
- पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख (125000) की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है।
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FAQ (Hindi)
देवो के देव महादेव का एक स्वरुप उनका रूद्र अवतार भी है जो उनके उग्र स्वभाव के लिए भी जाना जाता है। इसलिए उन्हें भगवान् रूद्र भी कहा जाता है इसलिए यह मंत्र ‘रूद्र मंत्र’ के नाम से भी जाना जाता है।
त्रयंबकम का अर्थ है तीन नेत्रों वाले मतलब भगवान् शिव, इसलिए इसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है।
हाँ यह मंत्र मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई “पुनर्जीवित” करने वाली विद्या का एक घटक है।
शिव मंदिर में करवाना ज्यादा उत्तम होगा।
ध्यान की मुद्रा में रहे और भगवान् शिव का स्मरण करे।
मंत्र के लिए सर्वोत्तम समय प्रातः ब्रह्मःमुर्हत से दोपहर २ बजे तक का माना गया है।
अवश्य।
FAQ (English)
Yes, if you want to.
The best place would be in front of or beside idols or photos of Gods. If you don’t have ‘Mandir’ at home then keep it above books or on top self somewhere you won’t show your feet to it while you sleep or sit.
Yes.
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