Hindi Kala presents Poetry by Shivankit Tiwari Shiva. He is Poet, Writer & Motivational Speaker. Shivankit is Medical Student By Profession.
कवितायें
प्रेम
प्रेम में प्रतीक्षा करना,
प्रेम करने का एक,
अहम हिस्सा है !
प्रेम में होना ईश्वर,
की आराधना में रत,
होने की दिशा में बढ़ाया
गया पहला कदम है !
प्रेम का सार अंतर्मन
की उस मासूमियत को बरकरार
रखने से है जो आपको प्रेम करने
के लिये सदैव प्रेरित करती है !
~© शिवांकित तिवारी “शिवा”
हारना तुझको मना है
याद रखना ये हमेशा,
हारना तुझको मना है,
हौंसला तेरा डिगे ना,
भले हो राहें भयंकर,
मिलेगी मंज़िल तुझे,
चलता रहेगा यदि निरंतर,
बात मेरी मान ले,
तू जीत की खातिर बना है,
मंजिलों की फ़िक्र मत कर,
राह पर होकर अडिग चल,
आज़ जितना कठिन होगा,
उतना ही होगा सरल कल,
लक्ष्य पर बस ध्यान दे,
अब छोड़ जितना बचपना है,
स्वप्न अपने तोड़ना मत,
राह अपनी मोड़ना मत,
भले आये लाख़ संकट,
बिना पाये छोड़ना मत,
कल उगेगा स्वयं सूरज,
आज़ बस कोहरा घना है,
हार का डर छोड़ मन से,
कर कड़ी मेहनत लगन से,
आज़ मुश्किल है मगर,
कल नाम गूंजेगा गगन से,
लक्ष्य पूरा कर चल अब तू,
बना क्यों अब अनमना है,
याद रखना ये हमेशा,
हारना तुझको मना है,
~© शिवांकित तिवारी “शिवा”
गलियां
प्रेम में प्रवेश हेतु गलियां बड़ी ही,
सुगम,सरल,शांत और सीधी होती है..
मगर,
प्रेम से निकासी हेतु अक्सर,
आपको आसूंओं से परिपूर्ण रुदन भरे,
जटिल एवं भयावह पथों से गुजरना पड़ता है !
~© शिवांकित तिवारी “शिवा”
गीत
जीवन बस चलता जाता है
जब घोर उदासी छा जाये,
सारे सपने मुरझा जाये,
अंतर्मन घायल हो जाये,
जब होश हमारा खो जाये,
मन व्याकुल हो घबराता है,
जीवन बस चलता जाता है,
जब अश्रु नयन से बहते है,
हम तन्हा सब दुःख सहते है,
सबके सुनकर ताने – वाने,
हम केवल चुप ही रहते है,
इस माटी में आने वाला,
इक दिन माटी हो जाता है,
जीवन बस चलता जाता है,
जब बुरा दौर आ जाता है,
अपने गायब हो जाते है,
फ़िर दूजे आकर हाथ थाम,
नौका को पार लगाते है,
सुख़,दुःख दोनों है आकस्मिक,
इक आता है इक जाता है,
जीवन बस चलता जाता है,
जब बुरे वक्त का साया हो,
जब अपना हुआ पराया हो,
दम तोड़ रहा जब जीवन हो,
सांसों की ना कीमत कम हो,
जब अश्रु नयन से ओझल हो,
आंसू में ना कोई जल हो,
तब हर मुश्किल का हल आकर,
ईश्वर स्वयमेव बताता है,
जीवन बस चलता जाता है,
चाहे जितनी मुश्किल आये,
तुमको बस चलते जाना है,
कर ईश्वर पर विश्वास सदा,
मानव का धर्म निभाना है,
थक हार बैठ रुक जाने से,
जीवन सारा रुक जाता है,
जीवन बस चलता जाता है,
~© शिवांकित तिवारी “शिवा”
याद तुम्हारी आई है माँ!
मेरा दिल जब- जब घबराया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
जब – जब है सूनापन छाया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
घर से निकले कदम अभागे,
जब भी तुम्हें छोड़कर भागे,
ना जाने कब नींद लगी फ़िर,
ना जाने फ़िर कब तक जागे,
जब भी रोते अश्रु छुपाया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
बाबूजी का हाथ पकड़कर,
कदम बढ़ाया चलना सीखा,
सभी मुश्किलों से डटकर के,
तुमसे ही माँ लड़ना सीखा,
जीवन ने जब भी उलझाया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
विपदाओ ने जब भी घेरा,
जब भी छाया घना अंधेरा,
जीने की ना आस बची जब,
तब दिखलाया नया सवेरा,
संग जब कोई नज़र ना आया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
तेरी गोद में सर रखकर माँ,
मैंने घूमी दुनिया सारी,
तेरे सिवा है,सबकुछ नकली,
दुनिया सारी, दुनियादारी,
तुम्हें छोड़कर जब मैं आया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
जब दुनिया ने मुझे नकारा,
सब लोगों ने किया किनारा,
तूने ने आकर गले लगाकर,
आंसू पोंछे, दिया सहारा,
जब – जब दुनिया ने ठुकराया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
बाहर आकर के अब जाना,
तेरे बिन है श्रृष्टि अधूरी,
संग तेरे ना होने पर अब,
जाना माँ है कितनी जरूरी,
माँ ममता कोई जान ना पाया,
याद तुम्हारी आई है माँ,
~© शिवांकित तिवारी “शिवा”
ग़ज़ल
टीस खाकर गम़ छुपाकर रो रहा है
टीस खाकर गम़ छुपाकर रो रहा है,
वो फ़क़त आंसू बहाकर रो रहा है,
हिज्र के क़िस्से सुनाकर महफिलों में,
आजकल वो मुस्कुराकर रो रहा है,
कैद करके ख़ुद को ख़ुद के घोसलें में,
उसके सारे ख़त जलाकर रो रहा है,
इश्क़ था जब तो बहुत नज़दीकियां थी,
अब जुदा हैं तो दूर जाकर रो रहा है,
ख़्वाब में भी उससे है मिलने की ख्व़ाहिश,
इसलिए तकिया भिगाकर रो रहा है,
-©® शिवांकित तिवारी “शिवा”
Poetry by Shivankit Tiwari Shiva
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