Ramdhari Singh Dinkar Poem Roti Aur Swadheenta Lyrics in Hindi & English with Meaning (Translation ) | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता रोटी और स्वाधीनता

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Hindi Kala presents the lyrics and meaning of Ramdhari Singh Dinkar Poem Roti Aur Swadheenta in which he compares freedom with hunger.

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Ramdhari Singh Dinkar Poem Roti Aur Swadheenta

रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘रोटी और स्वतंत्रता’ आजादी और भूख के बीच के संबंध को गहराई से समझाती है। इसमें कवि यह दर्शाते हैं कि केवल आजादी प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे बनाए रखना और उसकी रक्षा करना भी जरूरी है। यदि भूखमरी का संकट उत्पन्न होता है, तो लोगों की प्राथमिकता पेट भरना हो जाती है, और ऐसे में आजादी का महत्व कमजोर पड़ सकता है। दिनकर ने इस कविता के माध्यम से चेताया है कि भूख की मार इतनी प्रबल होती है कि वह व्यक्ति को स्वतंत्रता की भावना से दूर कर सकती है।

आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ?
मरभुखे ! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा ?
आजादी रोटी नहीं, मगर, दोनों में कोई वैर नहीं,
पर कहीं भूख बेताब हुई तो आजादी की खैर नहीं।

हो रहे खड़े आजादी को हर ओर दगा देनेवाले,
पशुओं को रोटी दिखा उन्हें फिर साथ लगा लेनेवाले।
इनके जादू का जोर भला कब तक बुभुक्षु सह सकता है ?
है कौन, पेट की ज्वाला में पड़कर मनुष्य रह सकता है ?

झेलेगा यह बलिदान ? भूख की घनी चोट सह पाएगा ?
आ पड़ी विपद तो क्या प्रताप-सा घास चबा रह पाएगा ?
है बड़ी बात आजादी का पाना ही नहीं, जुगाना भी,
बलि एक बार ही नहीं, उसे पड़ता फिर-फिर दुहराना भी।


Freedom has been attained, but how will you sustain its glory? O starving one! Don’t sell it in haste or devour it in worry. Freedom is not bread, but there is no enmity between the two, But if hunger grows unbearable, then freedom won’t survive, it’s true.

Standing all around are those ready to betray this freedom, showing bread to the desperate and leading them into their kingdom. How long can the hungry endure the magic of these lies? Who can remain human when the flames of hunger rise?

Will you endure this sacrifice? Can you bear the heavy blows of hunger? When calamity strikes, can you, like Pratap, survive on grass, any longer? It’s not just great to win freedom but to sustain it, that’s the key, Sacrifice isn’t a one-time act, it must be repeated constantly.


‘रोटी और स्वाधीनता’ कविता की रचना किस लेखक ने की है?

इस कविता की रचना महाकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने की है।

‘रोटी और स्वाधीनता’ कविता हमें क्या सन्देश देती है?

‘रोटी और स्वाधीनता’ कविता हमें यह सन्देश देती है कि आजादी सिर्फ पाने की चीज नहीं है, बल्कि उसे बनाए रखना और उसका सही उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है। अगर समाज में भूख और गरीबी हावी हो जाएं, तो आजादी का महत्व कम हो जाता है। पेट की भूख इंसान को ऐसे हालात में पहुंचा सकती है, जहां वह अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता करने को मजबूर हो जाता है।
कविता हमें यह चेतावनी देती है कि अगर भूख से लोग त्रस्त हो गए, तो वे आजादी की कद्र नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा, यह भी बताती है कि आजादी की रक्षा और उसका सतत् संवर्धन केवल बलिदान से संभव है। इसलिए, सिर्फ आजादी पाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे टिकाए रखना और समाज की भलाई के लिए उसे सही दिशा में ले जाना भी जरूरी है।


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